Lesson 6 -If the Well Goes Dry Summary in English Class12 I EASY ENGLISH I

If the Well Goes Dry Summary in English
Human beings are made of components of water. It occupies 71 per cent of the human body. The major components of water are oxygen (61 per cent) and hydrogen (10 per cent). Some other elements are carbon, nitrogen calcium and phosphorus which are only 23,2.6,1.4 and 1.1 per cent respectively.
We all are parts of the earth. Land is a self-contained store of the sea water to which we are connected chemically and biologically Water also carries spiritual significance in most religions like it is used in Christian baptism and as Hinduism’s sacred water.
Our life depends on freshwater which is only 2.5 per cent of the total amount of water on earth, though unevenly distributed throughout the world. It is a threat to globalisation. The dramatic change in our relationship to the earth since the industrial revolution especially in this century, is now causing profound damage to the global water system.
A balance is needed to maintain the health of the earth. Warmer temperatures speed up both evaporation and precipitation accelerating the entire cycle. The increased warmth also increases the amount of water vapour in the atmosphere which causes the greenhouse effect and speeds the process still further. Warming oceans are likely to cause the average hurricane to be more powerful.
in landuse patterns especially widespread deforestation. The destruction of a forest can affect the hydrological cycle. More water is stored in the forests of the earth for they themselves produce rain clouds. They also attract rain producing gases like terpenes and dimethylsulfide. It is clear that when forests are destroyed. the rains eventually taper off and bring less moisture.
The rivers get shallower. Their capacity to drain the flood waters is impaired and flooding and along the banks becomes even worse. Contamination of water resources is another strategic threat. It is caused by chemical pollutants produced by industrial civilization. Its tragic effect is felt in Third World with the high rates of death from cholera, typhoid, dysentery and diarrhoea that arise from both viral and bacteriological sources. More than 1.7 billion people do not have an adequate supply of
safe drinking water.
More than 3 billion people do not have proper sanitation and are thus at the risk of having their water contaminated. The pressure of rapid growth of population adds to the misery of greater concern. Groundwater is being extracted at rates higher than that of the ability of nature to refill or recharge them.
As the groundwater reservoirs are out of sight, they remain out of mind until they begin to dry up or until the ground above them begins to sink or subside. It invites more and more natural calamities. Any damage to water resources is a damage to the whole human race for water sustains us. We must rethink and take care to let the water remain in its natural state and not waste it without thinking of the future.
If the Well Goes Dry Summary in Hindi
मानव अधिकांशतः जल से बना है। मानव शरीर में यह 71 प्रतिशत है। इसके प्रमुख तत्त्वों में ऑक्सीजन (61 प्रतिशत) और हाइड्रोजन (10 प्रतिशत) और कुछ अन्य तत्वों में कॉर्बन, नाइट्रोजन, कैल्शियम और फॉसफोरस है जो क्रमशः 23, 2.6, 1.4 और 1.1 प्रतिशत हैं। हम सभी मूलतः धरती के भाग हैं। धरती समुद्री जल का स्वाभाविक सम्पूर्ण भंडार है जिससे हम रासायनिक और जैविकी रूप में जुड़े हैं। जल का बहुत से धर्मों में दैविक महत्त्व है, ईसाइयों का बपतिस्मा और हिन्दुओं का पवित्र शुद्धिकरण जल से ही होता है।
हमारा जीवन शुद्ध जल पर निर्भर करता है जो धरती पर प्राप्त जल का केवल 2.5 प्रतिशत है जो कि सम्पूर्ण विश्य में असमान रूप से वितरित है। यह भूमंडलीकरण के लिए एक खतरा है। औद्योगिक क्रान्ति के बाद से पृथ्वी के साथ हमारे रिश्तों में नाटकीय परिवर्तनों से भूमंडलीय जल प्रणाली में भयंकर खतरा पैदा हो गया है। धरती के स्वास्थ्य के लिए एक संतुलन की ज़रूरत है। बढ़ता हुआ तापमान, वाष्पीकरण और बारिश के सम्पूर्ण चक को त्वरित करता है। बढ़ी हुई गर्मी से जल का वाष्प वायुमण्डल में तेज़ी से बनता है और हरित चकीय प्रभाव को अधिक प्रभावित करता है। गर्म होता हुआ समुद्र सामान्य ओला वृष्टि को अधिक शक्तिशाली बनाता है।
घरती के जलीय प्रणाली का दूसरा प्रमुख संकट है-बड़े पैमाने पर वृक्षों की कटाई और ज़मीन को उपयोग करने के बदलते तरीके जंगलों की कटाई से जलीय प्रणाली बुरी तरह प्रभावित होती है। जंगलों में ज़्यादा जल संचित है, क्योंकि धरती के जंगल ज़्यादा से ज़्यादा जलीय बादल उत्पन्न कर सकते हैं। वे वर्षा को उत्पन्न करने वाले Terpene और Dimethylsulfide जैसे गैसों को आकर्षित करते हैं। यह स्पष्ट है कि जब जंगलों की कटाई होती है तो वर्षा अपने आप कम होने लगती है और नमी में कमी आ जाती है। नदियाँ छिछली होने लगती हैं, उनकी बाढ़ के पानी को आत्मसात करने की क्षमता कम हो जाती है और किनारों पर बाढ़ की स्थिति और भी खराब हो जाती है।
जल संसाधन का प्रदूषीकरण एक अन्य महान खतरा है। यह औद्योगिक संस्थानों से उत्पन्न रासायनिक प्रदूषकों से फैलता है। इसका दुःखद प्रभाव तीसरी दुनिया के क्षेत्रों में ज़्यादा देखने को मिलता है, जैसे हैजा, टायफाईड, पेचिश एवं दस्त जैसी बीमारियों से होने वाली मौत की दरें बहुत अधिक हैं जो संक्रामक एवं जीवाणु स्रोतों से होता है। 1.7 अरब लोगों के पास पर्याप्त शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं है। 3 अरब से अधिक लोगों के पास पर्याप्त स्वच्छता का अभाव है जिससे उनके जल प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है।
तेज़ी से बढ़ती हुई जनसंख्या का दबाव इस दर्द को और भी बढ़ाता है। धरती के पानी का अवशोषण प्रकृति की उस क्षमता से कई गुणा ज़्यादा है जिससे वह इसे पुनः प्राप्त करती है चूँकि धरती के अन्तःस्थलीय जल खोत नज़रों से ओझल होता है, इसलिए उसका तब तक अवशोषण होता है, जब तक कि वहाँ कि धरती की सतह पैंस न जाए। इससे ज़्यादा-से-ज्यादा प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं। जल-संसाधन की कोई भी क्षति सम्पूर्ण मानव प्रजाति की क्षति है, क्योंकि जल हमारी रक्षा करता है। हमें पुनर्विचार करना चाहिए और ध्यान देना चाहिए कि जल अपनी प्राकृतिक अवस्था में ही रहे, न कि बिना भविष्य का विचार किए इसे बर्बाद होने दे।
If the Well Goes Dry Word Meaning

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